हरिद्वार। जनपद में विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते सार्वजनिक स्थलों पर अनाधिकृत कब्जा करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। शहर में सरकारी भूमियों पर बसी कालोनियां व बस्तियों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थल भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। विगत दिनों हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटवाया गया था। लेकिन सत्ताधारियों के दबाब में प्रशासनिक टीम गलियों में किए गए अतिक्रमण को छू भी न सकी। इसी वजह से अतिक्रमण के खिलाफ कारवाई में जुटी प्रशासनिक टीम को न सिर्फ कदम पीछे खींचने पड़े बल्कि फुटपाथ से अतिक्रमण हटाए जाने वाले कोर्ट के आदेशों की भी सीधे तौर अवमानना की गई। गलियों में अतिक्रमण के खिलाफ कारवाई किया जाना कहीं न कहीं गली-मौहल्ले की राजनीति करने वाले नेताओं को रास नहीं आ रहा था। उन्हें सीधे तौर पर वोट बैंक प्रभावित होता दिखाई दे रहा था। इसी वजह से गलियों को छोड़ शहर की मुख्य सड़कों पर प्रशासनिक अधिकारियों ने अतिक्रमण हटवाने की कारवाई की । सफेदपोशों की सरपरस्ती के कारण ही अतिक्रमणकारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि अतिक्रमणकारी बेखौफ होकर सार्वजनिक स्थलों को कब्जाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा पूर्व अतिक्रमण हटाने की कारवाई जिस तेजी की गई उससे कहीं अधिक तेजी से अतिक्रमण ने पुनः तीर्थनगरी में अपने पैर पसार लिए हैं। इस तरह के सैकड़ों मामले हैं जहां सार्वजनिक स्थलों पर संबंधित विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही कब्जों की भरमार हैं। ताजा मामला भोला गिरि रोड़ स्थित सार्वजनिक गली का हैं जहां एक सत्तादल से जुड़े होटल स्वामी ने न सिर्फ सरकारी गली में जनरेटर रखकर अनाधिकृत कब्जा जमा लिया बल्कि नगर निगम से संबंधित सरकारी भूमि पर सेफ्टी टैंक का निर्माण भी करा दिया हैं। इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि सार्वजनिक स्थल पर कब्जा कर अनाधिकृत रूप से सेफ्टी टैंक का निर्माण किए जाने की शिकायत मिलने पर जांच करने पहुंचे निगम कर्मी का होटल स्वामी के समर्थन में मौके पर पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं ने घेराव कर मामला रफा-दफा करने के लिए भी खासा दबाब बनाया। हलांकि बताया जा रहा निगमकर्मी ने बिना किसी दबाब में आए सार्वजनिक स्थल पर सैफ्टी टैंक निर्माण किए जाने की जांच रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारी को प्रेषित कर दी है। अब देखना होगा कि विभागीय अधिकारी होटल स्वामी द्वारा सार्वजनिक स्थल पर किए गए अतिक्रमण को हटवाने के लिए कोई कारगर कदम उठाऐंगे या फिर मामला सत्तादल से जुड़ा होने के चलते आंखे मूंद लेंगे!