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मायादेवी मंदिर के बाहर पसरा कूड़ें का ढेर, मंदिर प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही के चलते श्रद्धालु हो रहे आहत


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Haridwar:

 अनिल बिष्ट
हरिद्वार। मायादेवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंदगी का अंबार लगा होने से यहां आने वाले भक्त्तों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। झूठे डोने, पत्तल, पाॅलीथीन, व अन्य खाद्य सामग्री खुले में ही डाली हुई हैं। हल्की बारिश होने पर यहां बने मैदान में कीचड़ होने से मंदिर तक जाने में दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। यह स्थिति तब हैं कि जब मंदिर का प्रबंधन देख रहा साधु समाज मैदान का इस्तेमाल को निजी वाहनों की पार्किंग के लिए करता हैं और वाहन पार्किंग शुल्क से लाखों रूपए प्रतिवर्ष की कमाई करता हैं। देश के कोने -कोने से श्रद्धालु यहां बसों व कार के माध्यमों से यहां आते हैं। संतों का अखाड़ा होने के साथ आस -पास मायादेवी मंदिर सहित अन्य मंदिर स्थित हैं, लेकिन यहां सफाई व्यवस्था की बात की जाए तो परिणाम शून्य ही हैं। शहर में सफाई के लिए भले स्थानीय नगर निगम के कर्मचारियों व केआरएल ने मोर्चा संभाला है, लेकिन कूड़ा उठाने वाली कंपनी कर्मचारी व निगम कर्मचारी सफाई मात्र खानापूर्ति के लिए ही कर रहे हैं। इससे जहां-तहां कूड़े के ढेर तो लगे ही हुए हैं। वहीं मंदिर के आसपास भी कूड़ा पड़ा होने से यहां मक्खी-मच्छर पनप रहे हैं। सुअर सुबह से शाम तक इसी गंदगी और कीचड़ में पड़े रहते हैं। कई दिनों तक मंदिर मार्ग से कूड़ा कचरा हटाया तक नहीं जाता हैं। मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए आने वाले भक्त्तों का मन कहीं न कहीं मंदिर मार्ग पर पड़ी गंदगी को लेकर खासा आहत दिखाई देता हैं। जबकि इसी मंदिर मार्ग पर बालिकाओं का स्कूल भी है। बावजूद उसके मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं व स्कूली बालिकाओं को कूड़ा पसरे मार्ग से ही गुजरना पड़ता हैं। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत स्वच्छता अभियान पर खासा जोर दिए हुए हैं तो दूसरी तरफ मंदिर प्रबंधन समिति व नगर निगम यहां सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने को संजीदा नहीं है।

सितारगंज निवासी शिखर मंडल का कहना है कि वह विगत कई वर्षों से तीर्थ स्थल पर आते हैं। और मंदिर के दर्शन करके ही वह अपने गंतव्य को वापस लौटते हैं, लेकिन मंदिर के बाहर पसरा कूड़ा करकट देखकर मन काफी आहत होता हैं।

स्थानीय निवासी विश्वास सक्सेना का कहना है कि वह प्रतिदिन मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं और कहा जाता हैं कि ईश्वर स्वच्छता में वास करते हैं, लेकिन मंदिर के बाहर पसरी गंदगी को देखकर लगा कि यहां सफाई व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। प्रशासन व मंदिर प्रबंधन समिति को भी प्रसिद्ध व पौराणिक मंदिर की स्वच्छता व पवित्रता बनाए रखने के लिए ध्यान देना चाहिए।

स्थानीय निवासी अशोक कुमार गर्ग का कहना हैं कि वह रोजाना मंदिर में आते हैं। हरिद्वार तीर्थ स्थल हैं जहां दूर दराज राज्यों से यात्री अपने मन मे बड़ी श्रद्धा लेकर इस स्थली पर आता हैं। लेकिन इस तरह से मंदिर मार्ग पर पड़ी गंदगी को देखकर वह क्या संदेश तीर्थ स्थली के विषय में लेकर जाता होगा हैं। यह यहां का सिद्धपीठ हैं। साधु समाज व प्रशासन को इस मंदिर व तीर्थ स्थली की पवित्रता बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

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