अनिल बिष्ट/हरिद्वार। प्राईवेट स्कूल ट्रैफिक नियमों की सरेआम धज्जियां उडाते नजर आ रहे हैं। दर्जनों स्कूली बसे ऐसी हैं जिनमें स्कूली बच्चों को ठूस-ठूस कर भरा जाता है। ज्यादातर बसों में सीटों के मुताबिक अधिक से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा है। इतना ही नहीं मिनी बसों से लेकर स्कूल में स्कूली बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर तक लगे आॅटो और मारूति वैनों में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। स्कूली बसों में केवल बच्चों से ही ओवरलोड नहीं हैं स्कूली षिक्षकों ओवरलोडिंग बसों में सवार रहती हैं। कई बसों में तो ड्राइवर बेल्ट का भी प्रयोग नहीं करते। कई स्कूली बसों में फस्र्ट बाक्स व आग बुझाने का यंत्र भी मौजूद नही है। इतना ही नहीं स्कूल बस की खिड़की भी खुली रखी जाती हैं जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। शहर भर में दर्जनों प्राईवेट स्कूल हैं जो ट्रैफिक नियमों पर खरे नही उतर रहे हैं। कई बार हादसे होने के बाद भी न तो अभिवावक ही सबक लेने को तैयार है और न ही स्कूली मैनेजमैंट। जबकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन भी बनी हुई है। परन्तु नीजी स्कूल प्रबंधक इस गाइडलाईन की अनदेखी कर मनमानी करने पर तुले है। नियम को ताक पर रखने वालों की फेहरिस्त में शहर के कई नामचीन स्कूल भी शामिल है। जब स्कूली बच्चों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बस में काफी भीड़ होती है, जिससे उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बैठने के लिए सीट तक नहीं मिलती है। वहीं इस मामले में एस.पी.सिटी ममता बोहरा ने जांच कर कारवाई करने की बात कही हैं।