हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार में भूमाफियाओं व विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ से धार्मिक ट्रस्ट से जुड़ी हुई संपत्तियों की बिक्री के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही हैं। धार्मिक स्थली होने के कारण ऐसी कई धार्मिक संपत्तियां जिनकी नींव धमार्थ , परोपकार , पुण्य कार्यो के लिए रखी गई थी वर्तमान में भूमाफियाअेां ने उन स्थलों को खुर्द बुर्द करके उन पर बड़े-बड़े व्यवसायिक भवन या आवासीय कालोनियां बना दी हैं। यह धार्मिक संपत्तिया धर्मनगरी में अपनी खासी पहचान रखती थी। जो शेष हैं उन पर भी कहीं न कहीं भूमाफियाओं की नजरे गड़ी हैं। ताजा मामला कनखल स्थित रूईयां धर्मशाला का हैं धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति को भूमाफिया व ट्रस्टी आपसी सांठ गांठ से खुर्द बुर्द करने पर लगे हैं। इसी मामले में धर्मार्थ ट्रस्ट की भूमि पर की जा रही प्लाटिंग के बैनामे निरस्त किए जाने को लेकर स्थानीय निवासी द्वारा जनपद स्तरीय व प्रदेश स्तरीय अधिकारियों से शिकायत की गई हैं। अधिकारियों को भेजे शिकायती पत्र में उल्लेंख किया गया हैं कि सूरजमल हरनंद राय कनखल चैरिटी ट्रस्ट की एक संपत्ति कनखल पहाड़ी बाजार में प्रसिद्ध रूईयां धर्मशाला के नाम से हैं। जिसमें वर्ष 2014 में 1 लाख वर्ग फुट भूमि को विक्रय के लिए जिला जज हरिद्वार की कोर्ट में 92 सी.पी.सी. वाद दायर कर अनुमति मांगी गई थी। जो कि 16.5.2017 को निरस्त कर दी गई थी। ट्रस्टियों व भूमाफिया आशीष शर्मा ने जिला जज हरिद्वार न्यायालय में भूमि विक्रय के लिए दायर विचाराधीन वाद को न सिर्फ छिपाया बल्कि गुमराह करते हुए 12.5.2017 को चैरिटी कमिश्नर मुंबई के कार्यालय से बड़ी ही होशियारी से अनुमति भी प्राप्त कर ली। आशीष शर्मा से इस संपत्ति का सौदा 12 करोड़ 20 लाख में तय हुआ हैं। आशीष ने इस संपत्ति खरीद फरोख्त के लिए ट्रस्ट को बतौर 2 करोड़ रूपए अग्रिम धनराशि के रूप में भी दिए हैं व बाकी शेष धनराशि के लिए आशीष शर्मा ने 1 वर्ष का समय लिया था जो कि 11 मई में पूरा होने जा रहा हैं। अशीष शर्मा कुख्यात की रंगदारी मंे मददगारी के आरोपों में धरे जाने के पूर्व भी चार लोगों के धर्मार्थ ट्रस्ट की भूमि कंचन लोधी, इमेश अरोड़ा, आशा मेहता, व रविश चन्द्र तिवारी के नाम विक्रय की थी। अब जमानत पर जेल से बाहर आने के पश्चात् आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली ने छः लोग मधु शर्मा, सत्यप्रकाश अग्रवाल, प्रिया शर्मा, विशेष मोहन कौशिक ,व सुभाष गर्ग, सहित कुल दस क्रेताओं को रूईयां धर्मशाला में भूमि विक्रय की गई हैं। ट्रस्टी और आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली रजिस्ट्रार कार्यालय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते राजस्व को चूना लगाने का खेल खेल रहे हैं। इन सब बातों की जानकारी रजिस्ट्रार कार्यालय अधिकारियों को भी हैं। मगर कमीशन खोरी के इन अधिकारियों ने आगे अपनी कर्तव्य, निष्ठा को ताक पर रख इस खेल में भूमाफियाओं बखूबी साथ देने में ही अपनी भलाई समझी हुई हैं। भूमाफियाओं का गठजोड़ धमार्थ ट्रस्ट की संपत्तियों को परमिशन के विपरीत बाजारी भाव में बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं।
कानूनी जानकारों की मानें तो चूंकि चैरिटी ट्रस्ट की 1 लाख वर्ग फुट भूमि विक्रय की अनुमति 1220 रूपए वर्ग फुट के हिसाब से आशीष शर्मा उर्फ टुल्ली के नाम पर धर्मादाय आयुक्त मुंबई कार्यालय से ली गई हैं। इसलिए नियमानुसार फस्र्ट पार्टी अर्थात् आशीष शर्मा के नाम पर 1 लाख वर्ग फुट भूमि की रजिस्ट्री होनी चाहिए थी । हैरानगी वाली बात हैं कि दस विक्रय पत्रों में अभी तक कोई भी विक्रय पत्र आशीष के नाम पर नहीं हैं। जबकि 10 लोगों को बैनामे टुल्ली द्वारा न करके ट्रस्टी पवन रूईयां द्वारा ही कराए गए हैं। जो कि कहीं न कहीं धर्मार्थ ट्रस्ट संपत्ति विक्रेता द्वारा चैरिटी कमिश्नर कार्यालय से जिन शर्तो व नियमों के आधार पर परमिशन हैं उसका सीधा सीधा उल्लंघन हैं ही साथ ही ट्रस्टी द्वारा विक्रय पत्र थर्ड पार्टी के नाम पर करके राजस्व को भी भारी भरकम चूना लगाया जा रहा हैं। बात यही खत्म नहीं हो जाती हैं संपत्ति विक्रय की परमिशन 1220 ( बारह सौ बीस ) रूपए प्रतिवर्ग फुट की हैं और जिसका मूल्य भूखंड खरीदारों से 3500 (पैंतीस सौ) रूपए प्रति वर्ग फुट के रेट से पैसा वसूला जा हैं। जिसका कहीं कोई लेखा जोखा नहीं हैं। इतना ही नहीं इस प्लाटिंग के लिए संबंधित विभाग एचआरडीए से भी आशीष शर्मा या ट्रस्टी पवन रूईयां द्वारा कोई ले आउट स्वीकृत नहीं कराया गया हैं और न ही रेरा में ही पंजीकरण कराया गया हैं। हलांकि एचआरडीए ने धर्मशाला प्रबंधक को इस संबंध में नोटिस देकर काम बंद करने के लिए निर्देशित किया था। लेकिन बाबजूद उसके शिकायत स्थल पर प्लाटिंग व सड़क बनाने का कार्य किया जा रहा हैं। इसी संबंध में कनखल निवासी शिकायतकर्ता ने चैरिटी कमिश्नर मुंबई द्वारा धमार्थ ट्रªस्ट की कनखल स्थित रूईयां धर्मशाला की संपत्ति विक्रय की स्वीकृति निरस्त करने सहित इनकम टैक्स कमिश्नर, एस0आई0टी0, जिलाअधिकारी हरिद्वार, उपाध्यक्ष हविप्रा तथा अपर जिला अधिकारी वित्त को शिकायतकर्ता ने दिए गए पत्र में धमार्थ ट्रस्ट की संपत्ति की गलत तरीके से की जा रही बिक्री पर रोक लगाने के साथ ही बैनामे निरस्त किए जाने की मांग की हैं।