अनिल बिष्ट / हरिद्वार। संत रसानंद और महादेवी की मौत के बाद उनकी करोड़ो की संपत्ति पर रार ठनी है। इस करोड़ों रूपए की संपत्ति को निशुल्क कैंसर रिसर्च अपताल, स्कूल, मेडिटेशन व योगा के लिए महादेवी नक्षत्राम व ब्रह्मलीन संत रसानंद ने खरीदा था, उनके मौत के बाद से उस संपत्ति की बंदरबांट शुरू हो गयी है।
संपत्ति के कस्टोडियन जमीन पर अपने स्वामित्व का दावा कर रहे है तो एक प्रोपर्टी डीलर राहुल पाठक ने तो उनक जमीन को कई खण्डों में प्लाट बनाकर बेचकर करोड़ो के वारे न्यारे कर लिए हैं। इतना ही नहीं संपत्ति संरक्षक ने भी अपने नाम चार रजिस्ट्रियां बतौर गिफ्ट करा ली। कानूनी जानकारों का कहना हैं कि प्रोपर्टी व्यवसाई द्वारा धार्मिक ट्रस्ट की भूमि की खरीद फरोख्त किया जाना 92 सीपीसी के नियम का उल्लंघन हैं। बिना जिला न्यायालय की परमिशन के ट्रस्ट की संपत्ति का क्रय विक्रय गैर कानूनी हैं। विडम्बना यह क पहले तो शासन मूक दर्शक बना रहा और अब मामले ने तूल पकड़ा तो एडीएम डा. ललित नारायण मिश्र ने सहायक महानिरीक्षक निबंधन हीरा सिंह बिष्ट को जांच सौंप दी है।
गौरतलब हैं कि आद्य महाकाली शक्ति सिद्ध पीठ पीठाध्ीाश्वर के ब्रह्मलीन संत रसानंद की उज्जैन कंुभ के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने के बाद उनके ट्रस्ट के नाम से खरीदी गई करोड़ो रूपए की संपत्ति पर लगातार विवाद गहरा रहा ह। संत क मृत्यु उपरांत अखाडे ने महामंडलेवर कैलाशानंद ब्रह्मचारी को महादेवी राजापाकियम चैरिटेबल ट्रस्ट व गोद लिए गए दो नाबालिग बच्चे मास्टर प्रद्युम्न व कुमारी गंगा का संरक्षण कर्ता बनाया है। लेकन कैलाशानंद जब से इस संपत्ति पर कस्टोडियन बने है तब से अब तक राहुल पाठक द्वारा करोड़ो रूपए की संपित्त का नियम विरूद्ध विक्र्रय कर दिया हैं। हैरत कि बाबा ने राहुल पाठक द्वारा की जार रही ट्रस्ट की संपत्ति की खरीद फरोख्त पर कोई आपत्ति नहीं की। जबकि बाबा अखाड़े द्वारा आश्रम की संपत्ति पर संरक्षक बनाए गए थे। इस सवाल के जबाब में बाबा निरूत्तर हैं। निरूत्तर होने का कारण साफ था कि इसमे कैलाशानंद के नाम पर राहुल पाठक द्वारा 21 अगस्त 2017 मे चार रजिस्ट्री बतौर गिफ्ट कराई गयी है। अब सवाल यहाँ इस बात का हैं कि कस्टोडियन (संरक्षक) होने के बावजूद आखिर कैलाशानंद बह्मचारी संपत्तियों की रजिस्ट्रियां कैसे अपने नाम करा सकते हंै? क्योंकि यह संपत्तियां महादेवी नक्षत्रम राजापाकियम ट्रस्ट के नाम पर थी ना कि किसी अखाड़े के नाम पर। सवाल के जबाब में एक अन्य अखाड़े से जुड़े संत स्वामी रामानंद का कहना हैं कि यदि संरक्षक की मंशा साफ थी तो संपत्तियों को पूर्व की भांति आश्रम के नाम पर ही कराते। मगर अपने नाम रजिस्ट्रियां के बाद से कैलाशानंद सवालों के घेरे में आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार आद्यकाली महाशक्ति आश्रम से जुड़ी संपत्ति अभिलेखों मे कैलाशानंद बह्मचारी ने अपना नाम दर्ज कराने के लिए तहसील कोर्ट मे आवेदन किया हुआ हैं। जबकि हरिद्वार न्यायालय मे संत रसानंद की पत्नी होने का दावा कर रही दिल्ली की महिला ने न्यायालय में संपत्ति पर अपना अधिकार पाने के लिए वाद दायर किया हुआ ह। यह सारा मामला तब सामने आया जब कनखल निवासी आरटीआई कार्यकर्ता व पत्रकार ने इस मामले मे रसखूदारों के तमाम दबाव के बावजदू इस बाबत मय सबूतों के शकायती पत्र अपर जिला अधिकारी को दिया। राजस्व अभिलेखो मे नाम दर्ज कराने के लए दिए कैलाशानंद के ओर से दिए गए आवेदन पर आपत्ति जताते हुए रोक लगाने व 92 सीपीसी के नियम उल्लंघन व राहुल पाठक द्वारा की गई रजिस्ट्री की जांच कर कारवाई किए जाने हेतु प्रधनमंत्री सहित मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट नैनीताल , मुख्य सचिव, व अपर जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया हैं। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ललित नारायण मिश्र ने संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में पत्र मिलने के बाद जांच के आदेश दिए हैं। इसी संपत्ति से जुडे़ एक मामले मे रजिस्ट्री कराए जाने को लेकर शिवडेल स्कूल के स्वामी शरदपुरी महाराज ने भी न्यायालय मे वाद दायर किया हुआ हैं। बाबा कैलाशानंद पर रोहणी दिल्ली मे रसानंद की कथित पत्नी ने यौन उत्पीड़न के आरोप मे मामला दर्ज कराया था। उसी दौरान ब्रह्मलीन संत की पत्नी होने का दावा कर रही दिल्ली की महिला ने संपत्ति हड़पने संबंधी गंभीर आरोप काली पीठाधीश्वर कैलाशानंद पर लगाए थे। मामला काफी सुर्खियों में रहा भी था। हलांकि कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताया था। बताया जा रहा हैं कि यौन उत्पीड़न संबंधी मामला विचाराधीन हैं।ं जांच चल रही हैं ।
संत समाज खामोश क्यों?
संत रसानंद व महादेवी के इस ट्रस्ट का गठन जिस उद्देश्य के तहत किया गया उसमे कैंसर रिसर्च अस्पताल ,गरीब असहाय लोग के लिए स्कूल, मेडिटेशन व योगा सेन्टर निशुल्क खुलवाना था। लेकिन इन सबसे इतर धार्मिक ट्रस्ट की खरीद फरोख्त होने की सभी संतों को जानकारी होने के बावजूद भी कोई भी संत बहुल्य नगरी से इस अवैध रूप से चल रहे ट्रस्ट भूमि की बिक्री के खेल के विरूद्ध खड़ा होने की तो दूर की बात हैं इस संबंध में संरक्षक बाबा से कुछ पूछने तक को तैयार नहीं हैं। ट्रस्ट जुड़ी संपत्तियों की अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेेन्द्र गिरि से जब इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि कैलाशानंद ब्रह्मचारी आद्य काली महाशक्ति सिद्धपीठ में कस्टोडियन है। महादेवी व रसानंद द्वारा गोद लिए गए बच्चों के वयस्क होने तक वह संपत्ति पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते हैं। कैलाशानंद के द्वारा कोई दावा डाले जाने की मुझे कोई जानकारी नहंी है।